दुष्ट जादूगर-1और ईमानदार किसान

दुष्ट जादूगर-1और ईमानदार किसान

पुराने समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक ईमानदार किसान रहता था जिसका नाम हरि था। हरि अपनी मेहनत और ईमानदारी के लिए पूरे गाँव में मशहूर था। वह अपनी पत्नी सीता और दो बच्चों के साथ खुशहाल जीवन जी रहा था। हरि का खेत गाँव के बाहर था, जहाँ वह हर दिन मेहनत करता और अपनी फसलों की देखभाल करता।

गाँव से कुछ दूरी पर एक काले जादूगर का किला था। उसका नाम विकराल था। विकराल अपनी दुष्टता और क्रूरता के लिए जाना जाता था। वह जादू की शक्तियों से लोगों को डराता और उनका शोषण करता था। गाँव के लोग विकराल से बहुत डरते थे और उसकी बुरी नजर से बचने के लिए हमेशा सतर्क रहते थे।

एक दिन, हरि अपने खेत में काम कर रहा था, जब विकराल ने उसे देखा। उसने सोचा, “यह किसान बहुत मेहनती और ईमानदार दिखता है। मैं इसे अपने जादू से नियंत्रित कर सकता हूँ और इससे अपना काम निकाल सकता हूँ।” विकराल ने एक योजना बनाई और अपने किले से बाहर आकर हरि के पास पहुँचा।

विकराल ने हरि से कहा, “किसान, मैं तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी से बहुत प्रभावित हूँ। मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ।” हरि ने विनम्रता से कहा, “महाराज, मुझे आपकी मदद की जरूरत नहीं है। मैं अपनी मेहनत से खुश हूँ।” लेकिन विकराल ने अपने जादू का इस्तेमाल करते हुए हरि को अपने वश में कर लिया और उसे अपने किले में ले गया।

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किले में पहुँचकर विकराल ने हरि से कहा, “तुम्हें अब मेरी आज्ञा का पालन करना होगा। अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी, तो तुम्हारे परिवार को बहुत नुकसान होगा।” हरि ने विकराल की धमकी सुनकर डरते हुए कहा, “महाराज, मैं आपकी आज्ञा का पालन करूँगा। कृपया मेरे परिवार को कुछ मत कीजिए।”

विकराल ने हरि को कई कठिन और असंभव कार्य दिए। हरि ने अपनी ईमानदारी और मेहनत से उन सभी कार्यों को पूरा किया। हरि की सच्चाई और समर्पण देखकर विकराल भी हैरान हो गया। उसने सोचा कि इस किसान को और भी कठिन कार्य देकर उसकी परीक्षा ली जाए।

एक दिन, विकराल ने हरि को एक विषैला पौधा लाने का आदेश दिया, जो गाँव के पास के जंगल में उगता था। वह पौधा बहुत खतरनाक था और उसे छूने से ही व्यक्ति की मृत्यु हो जाती थी। हरि ने सोचा, “अगर मैं इस पौधे को नहीं लाऊंगा, तो विकराल मेरे परिवार को नुकसान पहुंचाएगा। मुझे कोई रास्ता निकालना होगा।”

हरि ने अपनी समझदारी से काम लिया और एक सुरक्षित उपाय खोजा। उसने गाँव के बुजुर्गों से सलाह ली और जंगल में जाकर उस पौधे को बिना छुए लाने का तरीका सीखा। हरि ने उस पौधे को सुरक्षित रूप से किले में लाकर विकराल को दिया। विकराल ने देखा कि हरि ने कितनी बुद्धिमानी और सावधानी से काम किया है।

विकराल ने सोचा, “यह किसान बहुत चतुर और ईमानदार है। अगर मैं इसे अपने साथ रखूँ, तो इससे मुझे बहुत फायदा होगा।” लेकिन हरि के मन में हमेशा अपने परिवार और गाँव के लोगों की सुरक्षा की चिंता रहती थी। वह हमेशा ईश्वर से प्रार्थना करता कि उसे इस दुष्ट जादूगर के चंगुल से मुक्त कराए।

एक दिन, गाँव में एक साधु आया। उसने गाँव के लोगों से कहा कि वह विकराल जादूगर से निपटने की शक्ति रखता है। गाँव के लोग बहुत खुश हुए और साधु को विकराल के किले में ले गए। साधु ने अपने तप और साधना के बल पर विकराल की सारी जादूई शक्तियाँ छीन लीं और उसे बेबस कर दिया।

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हरि ने साधु से विनम्रता से कहा, “महाराज, आपने मुझे और मेरे गाँव को विकराल के अत्याचार से मुक्त कराया है। हम आपके बहुत आभारी हैं।” साधु ने कहा, “हरि, तुम्हारी ईमानदारी और सच्चाई ने ही तुम्हें बचाया है। याद रखना, सदैव सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए।”

साधु ने विकराल को गाँव से दूर जाने का आदेश दिया और उसे चेतावनी दी कि अगर वह दोबारा गाँव के लोगों को परेशान करेगा, तो उसे और भी बड़ी सजा दी जाएगी। विकराल ने साधु की बात मानी और गाँव से दूर कहीं जाकर बस गया। गाँव के लोगों ने राहत की सांस ली और साधु का धन्यवाद किया।

हरि अपने परिवार के पास लौट आया। उसने अपनी मेहनत और ईमानदारी से फिर से अपने खेतों में काम करना शुरू कर दिया। गाँव के लोग उसकी कहानी सुनकर प्रेरित होते और सदैव सच्चाई और ईमानदारी के मार्ग पर चलने का संकल्प लेते। हरि की कहानी सदियों तक गाँव में सुनाई जाती रही और लोग उसकी प्रशंसा करते रहे।

### दुष्ट जादूगर और ईमानदार किसान: निष्कर्ष

“दुष्ट जादूगर और ईमानदार किसान” की कहानी हमें सिखाती है कि सत्य, ईमानदारी और मेहनत से किसी भी कठिनाई का सामना किया जा सकता है। हरि की ईमानदारी और मेहनत ने उसे विकराल जादूगर की क्रूरता से बचाया और साधु की सहायता से विकराल का अंत हुआ।

इस कहानी का निष्कर्ष यह है कि चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति क्यों न हो, हमें सदैव सत्य और ईमानदारी के मार्ग पर चलना चाहिए। “दुष्ट जादूगर और ईमानदार किसान” की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलने से ही हम किसी भी दुष्टता को पराजित कर सकते हैं और अपनी और अपने प्रियजनों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।

हरि और विकराल की कहानी में यह स्पष्ट होता है कि ईमानदारी और सच्चाई ही सच्चे गुण हैं, जो हमें जीवन में सच्ची सफलता और सम्मान दिलाते हैं। “दुष्ट जादूगर और ईमानदार किसान” की कहानी यह संदेश देती है कि हमें हमेशा सत्य, ईमानदारी और परोपकार के मार्ग पर चलना चाहिए, क्योंकि यही सद्गुण हमें सबसे बड़ी जीत दिलाते हैं।

THE END

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