पहलवान और राजकुमारी (Pahlawan aur Rajkumari)

पहलवान और राजकुमारी (Pahlawan aur Rajkumari)

दूर-दराज के एक राज्य में, जंगल के बीचों बीच बसा था एक छोटा सा गांव, मल्लपुरा। इस गांव में रहता था शेर सिंह, एक ऐसा पहलवान जिसकी ताकत के किस्से दूर-दूर तक फैले हुए थे। शेर सिंह की मोटी हथेलियां, चौड़ा सीना और गहरी आवाज हर किसी को उसकी ताकत का एहसास दिलाती थी। पर शेर सिंह सिर्फ ताकतवर ही नहीं था, बल्कि दयालु और नेकदिल इंसान भी था। वो अक्सर गांव वालों की मदद करता और कमजोरों की रक्षा करता था।उसी राज्य में राजधानी में रहती थी, राजकुमारी रानी। राजकुमारी रानी अपनी खूबसूरती और बुद्धि के लिए जानी जाती थी। पर राजा बीमार पड़ गए थे और कोई भी वैद्य उनका इलाज नहीं कर पा रहा था। राजा के बीमार पड़ने से पूरा राज्य शोक में डूब गया।

एक रात, राजा को एक सपना आया। सपने में एक साधु ने उन्हें बताया कि जंगल के बीच स्थित मल्लपुरा गांव में रहने वाला पहलवान शेर सिंह ही उनकी बीमारी का इलाज कर सकता है। राजा ने सपने को दरबार में सुनाया और फौरन शेर सिंह को लाने के लिए सैनिकों को आदेश दिया।

कुछ ही दिनों में सैनिक मल्लपुरा गांव पहुंच गए। उन्होंने शेर सिंह को ढूंढा और राजा के बीमार होने और उन्हें लाने का आदेश सुनाया। शेर सिंह ने राजा की बीमारी सुनकर फौरन उनके लिए निकलने की तैयारी कर ली। रास्ते में उसे बताया गया कि राज वैद्य भी राजा का इलाज नहीं कर पा रहे हैं।

पहलवान और राजकुमारी (Pahlawan aur Rajkumari)

शेर सिंह राजधानी पहुंचा और सीधे राजा के महल में गया। वहां उसने देखा कि राजा बिस्तर पर पड़े हुए बहुत कमजोर दिख रहे थे। शेर सिंह ने राजा को प्रणाम किया और उनका हालचाल पूछा। राजा ने शेर सिंह को अपना सपना सुनाया और उससे विनती की कि वो उनका इलाज करे।

शेर सिंह ने राजा को ध्यान से देखा और कहा, “महाराज, आपकी बीमारी दवाइयों से ठीक नहीं हो सकती। आपकी बीमारी किसी अभिशाप या जादू टोने के कारण है।”

राजा चौंक गए। उन्होंने शेर सिंह से पूछा कि फिर उनका इलाज कैसे होगा। शेर सिंह ने कहा, “महाराज, जंगल के बीच में ऊँची पहाड़ी में एक गुफा में रहता है एक तांत्रिक। वो ही आपका इलाज कर सकता है, पर उसकी एक शर्त है।”

शेर सिंह ने राजा को तांत्रिक की शर्त के बारे में बताया। तांत्रिक राजा को ठीक करने के लिए एक दुर्लभ जड़ी बूटी मांगता था, जो जंगल के सबसे ऊंचे पहाड़ की चोटी पर उगती थी। उस पहाड़ पर चढ़ना बहुत खतरनाक था और अभी तक कोई भी जीवित वापस नहीं आया था।

राजा ने शेर सिंह से पूछा कि क्या वो उस जड़ी बूटी को ला सकता है। शेर सिंह ने बिना किसी हिचकिचाहट के कहा, “महाराज, आपकी सेवा और राज्य की भलाई के लिए मैं ये खतरा मोल लेने को तैयार हूं।”

राजा शेर सिंह की बात सुनकर बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने शेर सिंह को आशीर्वाद दिया और जंगल की यात्रा के लिए सारी तैयारियां करवाईं। कुछ ही दिनों में शेर सिंह जंगल की ओर निकल पड़ा।

जंगल का रास्ता बहुत कठिन और खतरनाक था। रास्ते में शेर सिंह को कई जंगली जानवरों का सामना करना पड़ा। पर शेर सिंह अपनी ताकत और हिम्मत से उन सबको मात देकर आगे बढ़ता गया।

पहलवान और राजकुमारी (Pahlawan aur Rajkumari)

हफ्तों के कठिन सफर के बाद आखिरकार शेर सिंह उस ऊंचे पहाड़ की तलहटी में पहुंच गया। पहाड़ की चोटी तक जाने वाला रास्ता और भी खतरनाक था। नुकीली चट्टानें, गहरी खाईं और तेज हवाएं रास्ते में हर कदम पर मुश्किलें खड़ी कर रहीं थीं। पर शेर सिंह हार मानने वाला नहीं था। वो धीरे-धीरे पहाड़ चढ़ता रहा।

कई दिनों की चढ़ाई के बाद आखिरकार शेर सिंह पहाड़ की चोटी पर पहुंच गया। वहां चट्टानों के बीच उसे एक छोटा सा पौधा दिखाई दिया। वही दुर्लभ जड़ी बूटी जिसे वो ढूंढ रहा था। पर जड़ी बूटी को लेने के लिए उसे एक बहुत गहरी खाई को पार करना था। खाई के दूसरी तरफ चट्टान में एक छोटी सी दरार थी, जहां वो जड़ी बूटी उग रही थी।

शेर सिंह ने सोचा कि वो रस्सी की मदद से खाई को पार कर सकता है। पर उसके पास कोई रस्सी नहीं थी। उसने चारों ओर देखा, तभी उसे एक मोटी बेल दिखाई दी जो खाई के एक छोर से दूसरे छोर तक लटक रही थी।

शेर सिंह जानता था कि बेल कमजोर हो सकती है, पर उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था। उसने सावधानी से बेल को पकड़ा और धीरे-धीरे खाई के ऊपर से झूलने लगा। बेल कमजोर थी और हर झटके के साथ टूटने का खतरा बना हुआ था। पर शेर सिंह ने हिम्मत नहीं हारी। वो धीरे-धीरे करके खाई के बीच तक पहुंच गया।

तभी अचानक बेल टूट गई और शेर सिंह तेजी से नीचे गिरने लगा। वो चट्टानों से टकराता हुआ गिरा, उसे बहुत चोटें आईं, पर वो बेहोश नहीं हुआ। कुछ देर बाद होश आने पर उसने देखा कि वो चमत्कारिक रूप से एक नदी के किनारे गिरा था। नदी का पानी ठंडा था और उसने शेर सिंह के घावों को कुछ आराम पहुंचाया।

शेर सिंह ने उठने की कोशिश की, उसकी कमर में बहुत दर्द हो रहा था। पर वो जानता था कि उसे जड़ी बूटी लेकर वापस लौटना है। उसने किसी तरह नदी पार की और पास के पेड़ से एक मजबूत बेल काटकर उसे रस्सी की तरह बना लिया।

फिर से पहाड़ चढ़ाई शुरू हुई। इस बार कमजोर होने के बावजूद शेर सिंह ने अपनी हिम्मत नहीं हारी। वो धीरे-धीरे चढ़ता रहा और आखिरकार दोबारा चोटी पर पहुंच गया। इस बार उसने जल्दी से जड़ी बूटी ली और रस्सी के सहारे वापस नीचे उतर आया।

शेर सिंह वापस राजधानी पहुंचा। राजा और रानी उसे देखकर बहुत खुश हुए। शेर सिंह ने उन्हें जड़ी बूटी दिखाई और बताया कि उसे लाने में उसे कितनी मुश्किलें आईं। राज वैद्य ने जड़ी बूटी से एक दवा बनाई और राजा को दी।

कुछ ही दिनों में राजा की तबीयत में सुधार होने लगा और वो धीरे-धीरे स्वस्थ हो गए। राजा शेर सिंह के बहुत आभारी थे। उन्होंने शेर सिंह को ढेर सारे उपहार दिए और उन्हें राज्य का योद्धा बना दिया।

शेर सिंह राजा की सेवा करता रहा और राज्य की रक्षा करता रहा। पर उसे महल का जीवन पसंद नहीं आया। वो जल्दी ही मल्लपुरा गांव लौट गया। वहां गांव वाले उसका स्वागत फूलों से और मिठाइयों से किए।

एक दिन राजकुमारी रानी शेर सिंह से मिलने के लिए मल्लपुरा गांव आईं। रानी ने शेर सिंह को राजा का आभार व्यक्त किया और उन्हें धन्यवाद दिया। रानी ने शेर सिंह की ताकत और हिम्मत की बहुत तारीफ की।

शेर सिंह और रानी की मुलाकातें धीरे-धीरे बढ़ने लगीं। रानी अक्सर शेर सिंह से राज्य की समस्याओं और जनता के दुखों के बारे में बात करती थी। शेर सिंह रानी को अपनी बुद्धि और सलाह से उनकी मदद करता। रानी शेर सिंह की दयालुता और नेक दिली से बहुत प्रभावित हो गई। वो देख चुकी थी कि शेर सिंह ताकतवर होने के साथ-साथ कितना नेक इंसान है।

कुछ समय बाद राजा का स्वास्थ्य फिर से बिगड़ गया। इस बार कोई भी दवा काम नहीं कर रही थी। राजा जानते थे कि अब उन्हें बचाने वाला सिर्फ शेर सिंह ही है। उन्होंने रानी को शेर सिंह को लाने के लिए भेजा।

रानी मल्लपुरा गांव पहुंची और शेर सिंह से विनती की कि वो फिर से राजा का इलाज करें। शेर सिंह ने रानी की बात मानी और उनके साथ राजधानी लौट आया। इस बार भी शेर सिंह ने जंगल में जाकर दुर्लभ जड़ी बूटी ढूंढी और राजा को ठीक किया।

राजा पूरी तरह स्वस्थ हो गए और वो शेर सिंह के बहुत आभारी थे। उन्होंने शेर सिंह को राज्य का रक्षक और रानी का रक्षक घोषित कर दिया। रानी इस बात से बहुत खुश हुई।

कुछ समय बाद राजा का देहांत हो गया। रानी को राजा बनाया गया। रानी रानी के रूप में राज्य की बागडोर संभालने लगीं। शेर सिंह हमेशा उनकी मदद करता और राज्य की रक्षा करता रहा।

एक शाम रानी ने शेर सिंह को दरबार में बुलाया और उनसे शादी करने का प्रस्ताव रखा। शेर सिंह चौंक गया। उसने रानी को बताया कि वो एक साधारण पहलवान है और राजा के योग्य नहीं है।

पर रानी ने कहा, “शेर सिंह, आप सिर्फ पहलवान नहीं हैं। आप मेरी नजरों में एक सच्चे नायक हैं। आपकी ताकत, हिम्मत और नेक दिली ने ही मुझे और पूरे राज्य को बचाया है। मैं आपसे प्यार करती हूं और आपसे शादी करना चाहती हूं।”

शेर सिंह रानी के प्यार से अभिभूत हो गया। उसने रानी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। पूरे राज्य में शेर सिंह और रानी की शादी की धूमधाम से तैयारियां हुईं। उनकी शादी बहुत धूमधाम से हुई और वो खुशी-खुशी राज्य चलाने लगे।

शेर सिंह और रानी की जोड़ी ने मिलकर राज्य का बहुत विकास किया। शेर सिंह अपनी ताकत से राज्य की रक्षा करता रहा और रानी अपनी बुद्धि से राज्य का संचालन करती रहीं। उनका राज्य खुशहाल और समृद्ध बन गया। उनकी कहानी दूर-दूर तक फैली और हर कोई उनकी सच्ची प्रेम कहानी और राज्य के लिए किए गए कार्यों की तारीफ करता रहा।

पहलवान और राजकुमारी (Pahlawan aur Rajkumari) का जीवन बीतने लगा। विवाह हो जाने के बुरे पहलवान और राजकुमारी (Pahlawan aur Rajkumari) की तीन संतानें हुई।पहलवान और राजकुमारी (Pahlawan aur Rajkumari) की पहली संतान बेटा था जो कि पहलवान और राजकुमारी (Pahlawan aur Rajkumari) की तरह हट्टा कट्टा तथा सुंदर था। उसके बाद पहलवान और राजकुमारी (Pahlawan aur Rajkumari) की दो संतान हुई एक बेटी और एक बेटा।

पहलवान और राजकुमारी (Pahlawan aur Rajkumari) चाहते थे कि उनका राज्य हमेशा खुशहाल रहे और किसी भी जन्म को कोई संसार न हो। पहलवान और राजकुमारी (Pahlawan aur Rajkumari) ने कई, शिक्षाशाला और धर्मार्थ अस्पताल खोले और नवयुवकों के लिए मल्ला स्कूलों का निर्माण भी कराया। पहलवान और राजकुमारी (Pahlawan aur Rajkumari) चाहते थे कि उनके राज्य का हर एक युवक स्वस्थ और पहलवान बने ताकि भविष्य में कोई भी शत्रु राज्य उनके राज्य पर हमला न कर सके और उनका राज्य पूरी तरह से सुदृढ हो सके। पहलवान और राजकुमारी (Pahlawan aur Rajkumari) का याह प्रयास रंग लाया और जब तक हमारे राज्य में उनका शासन नहीं रहा कोई भी दुखी और निर्बल नहीं था तब सभी जन्मों में कुशल जीवन जी रहा था और पहलवान और राजकुमारी (Pahlawan aur Rajkumari)की भूरी-भूरी प्रशंसा करता था.

समाप्त

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